मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय (Maithili Sharan Gupt Ka Jivan Parichay) :-
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म सन् 1886 ई॰ में चिरगांव जिला झाँसी में हुआ था। इनके पिता सेठ रामचरण जी रामभक्त और काव्यप्रेमी थे। उन्हीं से गुप्तजी को काव्य-संस्कार प्राप्त हुआ। इन्होंने कक्षा 9 तक ही विद्यालयीय शिक्षा प्राप्त की थी, किन्तु स्वाध्याय से अनेक भाषाओं के साहित्य का ज्ञान प्राप्त किया। इन्होंने बचपन में ही काव्य-रचना करके अपने पिता से महान् कवि बनने का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
महावीरप्रसाद द्विवेदी के सम्पर्क में आने के बाद उनको अपना काव्य-गुरु मानने लगे। पैतृक सम्पत्ति के रूप में प्राप्त गुप्तजी के संस्कार को द्विवेदीजी ने सँवारा एवं सजाया। द्विवेदीजी के आदेश पर गुप्तजी ने सर्वप्रथम 'भारत-भारती' नामक काव्य-ग्रन्थ की रचना कर युवाओं में देश-प्रेम की सरिता बहा दी। गुप्तजी गाँधीजी के स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रभाव में आये और उसमें सक्रिय भाग लिया। इन्होंने देश-प्रेम, समाज-सुधार, धर्म, राजनीति, भक्ति आदि सभी विषयों पर रचनाएं कीं। राष्ट्रीय विषयों पर लिखने के कारण ये 'राष्ट्रकवि' कहलाये सन् 1948 ई॰ में आगरा विश्वविद्यालय तथा सन् 1958 ई॰ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने डी॰ लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया। सन् 1954 ई॰ में भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' की उपाधि से इन्हें अलंकृत किया। दो बार ये राज्यसभा के सदस्य भी मनोनीत हुए। इनका देहावसान 12 दिसम्बर, सन् 1964 ई॰ को हुआ।
मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक सेवाएँ :-
गुप्तजी की प्रारम्भिक रचनाएँ कलकत्ता से प्रकाशित पत्रिका 'वैश्योपकारक' में प्रकाशित होती थीं। द्विवेदीजी के सम्पर्क में आने के बाद इनकी रचनाएँ 'सरस्वती' पत्रिका में प्रकाशित होने लगीं। सन् 1909 ई॰ में इनकी सर्वप्रथम पुस्तक 'रंग में भंग' का प्रकाशन हुआ। इसके बाद सन् 1912 ई॰ में 'भारत भारती' के प्रकाशित होने से इन्हें अपार ख्याति प्राप्त हुई। 'साकेत' नामक महाकाव्य पर हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने इन्हें 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' प्रदान किया। इन्होंने अनेक अद्वितीय कृतियों का सृजन कर सम्पूर्ण हिन्दी-साहित्य-जगत् को विस्मित कर दिया। खड़ीबोली के स्वरूप-निर्धारण और उसके विकास में इन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया।
मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ :-
गुप्तजी आधुनिक काल के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि थे। इनकी 40 मौलिक तथा 6 अनूदित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ इस प्रकार हैं
(1) भारत-भारती -- इस काव्य-ग्रन्थ में देश के गौरव की कविताएँ हैं।
(2) यशोधरा -- इसमें गौतम के वन चले जाने के पश्चात् उपेक्षित यशोधरा के चरित्र को काव्य का आधार बनाया गया है।
(3) साकेत -- इसमें साकेत (अयोध्या) का वर्णन है।
(4) पंचवटी -- इसमें सीता, राम और लक्ष्मण के आदर्श चरित्र का चित्रण है। इसके अतिरिक्त 'जयद्रथ वध' , 'जय भारत' , 'द्वापर' , 'सिद्धराज' , 'अनघ' , 'झंकार' , 'नहुष' , 'पृथ्वीपुत्र' , 'रंग में भंग' , 'गुरुकुल' , 'किसान' , 'हिन्दू' , 'चन्द्रहास' , 'मंगल घट' , 'कुणाल गीत' तथा 'मेघनाथ वध' आदि महत्त्वपूर्ण रचनाएँ हैं।
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