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अध्याय 11 दूतवाक्यम् श्लोकों का सन्दर्भ-सहित हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोंत्तर

 Class 12th Sanskrit lesson 11 दूतवाक्यम् श्लोकों का सन्दर्भ-सहित हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोंत्तर:–



श्लोक 1

ग्रहणमुपगते तु वासुदेवे हृतनयना इव पाण्डवा भवेयुः। गतिमतिरहितेषु पाण्डवेषु, क्षितिरखिलापि भवेन्ममासपत्ना।। (2012, 11)


सन्दर्भ:–

 प्रस्तुत श्लोक हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘संस्कृत दिग्दर्शिका’ के ‘दूतवाक्यम् पाठ से उद्धृत है।


हिन्दी में अनुवाद:–

 वासुदेव को बन्दी बना लेने से पाण्डव नेत्रहीन हो जाएँगे। पाण्डवों के गतिविहीन एवं मतिविहीन हो जाने पर मेरे लिए सम्पूर्ण पृथ्वी शत्रु-रहित हो जाएगी।


श्लोक 2

प्राप्तः किलाद्य वचनादिह पाण्डवानां दौत्येन भृत्य इव कृष्णमतिः स कृष्णः। 
श्रोतुं सखे! त्वमपि सज्जय कर्ण कर्णी नारीमृदूनि वचनानि युधिष्ठिरस्य।।। (2017, 15, 11)


सन्दर्भ:–

 पूर्ववत्।



हिन्दी में अनुवाद :–

निश्चय ही पाण्डवों के कहने पर कुटिल बुद्धि वाला कृष्ण आज दूत रूप में सेवक सदृश यहीं आया है। हे कर्ण युद्धितिर के नारी के सदृश कोमल वचन सुनने के लिए तुम भी अपने कानों को तैयार कर लो।।



श्लोक 3

दुष्टवादी गुणद्वेषी शठः स्वजननिर्दयः।।

सुयोधनो हि मां दृष्ट्वा नैव कार्य करिष्यति।।


सन्दर्भ :–

पूर्ववत्।


हिन्दी में अनुवाद:–

 बुरे वचन बोलने वाला, गुणों से द्वेष रखने वाला, दुष्ट और स्वजनों के प्रति निर्दयीं दुर्योधन मुझे देखकर कार्य नहीं करेगा।


श्लोक 4

अनुभूतं मददु:खं सम्पूर्णः सुम्यः स च।
अस्माकपि धर्म्यं यद् दायाचं तद् विभज्यताम्।। (2018)


सन्दर्भ :–

पूर्ववत्।


हिन्दी में अनुवाद :–

वासुदेव सब कुशलतापूर्वक हैं। आपके राज्य की कुशलता और शरीर के स्वास्थ्य को पूछकर निवेदन करते हैं हमने अत्यधिक कष्ट भोग लिया है। अब वह शर्त भी पूरी हो गई है। अतः धर्म के अनुसार जो भी देने योग्य हो, वह बाँट दीजिए।


श्लोक 5

राज्यं नाम नृपात्मजैस्सहृदयैर्जित्वा रिपून् भुज्यते।
तल्लोके न तु याच्यते न च पुनर्दीना वा दीयते।।
काङ्क्षा चेन्नृपतित्वमाप्तुमचिरात् कुर्वन्तु ते साहसम्।।
स्वैरं वा प्रविशन्तु शान्तमतिभिर्जुण्टं शुमायाश्रमत्।।


सन्दर्भ:–

 पूर्ववत्।


हिन्दी में अनुवाद:–

 सह्दय राजकुमारों के द्वारा राज्य तो शत्रुओं को जीतकर भौगा जाता है। वह न तो लोक (संसार) में माँगा जाता है तथा न ही किसी निर्धन व्यक्ति को प्रदान किया जाता है। यदि उन्हें (पाण्डवों को) राज़ पाने की चाह हो तो साहस करें, अन्यथा शान्ति हेतु शान्त चित्त वाले तपस्वियों से युक्त आश्रम में प्रवेश करें।


श्लोक 6

कर्तव्यो भ्रातृषु स्नेहो विस्मर्तव्या गुणेतराः।।
सम्बन्धो बन्धुभिः श्रेयान् लोकयोरुभयोरपि।। (2017)


सन्दर्भ:–

 पूर्ववत्।


हिन्दी में अनुवाद:–

भाइयों से स्नेह करना कर्तव्य है। उनके अवगुणों को भुला देना चाहिए। भाइयों से मेल-मिलाप रखना दोनों ही लोकों में मंगलकारी होता है।


श्लोक 7

दातुमर्हसि मद्वाक्याद् राज्यार्द्ध धृतराष्ट्रज।
अन्यथा सागरान्तां ग हरिष्यन्ति हि पाण्डवाः।। (2018)


सन्दर्भ :–

पूर्ववत्।


हिन्दी में अनुवाद:–

 हे धृतराष्ट्रकुमार! तुम्हें मेरे कथन के अनुसार राज्य का आधा भाग दे देना चाहिए अन्यथा पाण्डव (निश्चय ही) समुद्र के अन्त तक की धरती तुमसे छीन लेंगे।


श्लोक 8

प्रहरति यदि युद्धे मारुतो भीमरूपी
प्रहरति यदि साक्षात्पर्थरूपेण शक्रः ।।
परुषवचनदक्ष! त्वद्वचोभिर्न दास्ये
तृणमपि पितृभुक्ते वीर्यगुप्ते स्वराज्ये।।


सन्दर्भ:–

 पूर्ववत्।


हिन्दी में अनुवाद :–

कटुवचन बोलने में दक्ष हे कृष्ण! यदि युद्ध में स्वयं वायु देव भी भीम रूप में प्रहार करें तथा साक्षात् इन्द्र भी अर्जुन रूप में प्रहार करें, तो भी मैं तुम्हारे कहने से पिता द्वारा भोगे गए, पराक्रम से संरक्षित अपने राज्य का तिनका भी नहीं दूंगा।।


श्लोक 9

सृञ्जसि यदि सुमन्ताद् देवमायाः स्वमायाः
प्रहरसि यदि वा त्वं दुर्निवारैस्सुरास्त्रैः।
हयगजवृषभाणां पातनाज्जादपों ।
नरपतिगणमध्ये बध्यसे त्वं मुयाद्य।। (2010)


सन्दर्भ:–

 पूर्ववत्।


हिन्दी में अनुवाद :–

यदि तुम चारों ओर अपनी देवमाया रच दो, यदि तुम अबाध दिव्यास्त्रों से प्रहार करो, घोड़े, हाथियों एवं बैलों को मारने से उत्पन्न घमण्ड वाले, आज मैं इन राजाओं के मध्य तुम्हें बॉधूंगा।


प्रश्न – उत्तर:–



प्रश्न 1.

पाण्डवदूतः कः आसीत् (2014)

उत्तर:

पाण्डवदूतः श्रीकृष्णः आसीत्।


प्रश्न 2.

श्रीकृष्ण कस्य समीपे दौत्येन गतः? (2014, 13, 12, 11)

अथवा

श्रीकृष्णः दूतरूपेण कुत्र गतः?

उत्तर:

श्रीकृष्णः दुर्योधनस्य समीपे दौत्येन गतः।


प्रश्न 3.

वासुदेव कस्य दौत्येन कुत्र गतः? (2017)

उत्तर:

वासुदेव युधिष्ठिरस्य दौत्येन दुर्योधनस्य समीपे गतः


प्रश्न 4.

दुर्योधनः कर्णं किम् अवोचत्? (2014, 12)

उत्तर:

दुर्योधनः कर्णम् अवोचत् सखे कर्ण! त्वमपि युधिष्ठिरस्य नारीमृदूनि वचनानि श्रोतुं कणों सज्जय।


प्रश्न 5.

दुर्योधनः श्रीकृष्णं किम् अपृच्छत् ? (2016)

उत्तर:

दुर्योधनः श्रीकृष्णं अपृच्छत् यत् तस्थ भ्रातरः अपि कुशलिनः ?


प्रश्न 6.

दुर्योधनः कस्य पुत्रः आसीत्? (2018, 10)

उत्तर:

दुर्योधनः धृतराष्ट्रस्य पुत्रः आसीत्।


प्रश्न 7.

कः पाण्डवः दूतः अभवत् (2018)

उत्तर:

श्रीकृष्णः पाण्डवः दूतः अभवत्।।



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