Chapter 1
समतल पृष्ठों पर प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light on plane surfaces)
प्रकाश (light):–
प्रकाश वह ऊर्जा है जिसकी सहायता से हमें वस्तुएं दिखाई देती हैं जब प्रकाश किसी वस्तु पर आपतित होता है तो वह परावर्तित होकर हमारी आंखों तक पहुंचता है जिसके फलस्वरूप हमें वस्तुएं दिखाई देती हैं।
प्रकाश स्रोत(light source):–
प्रकाश हमें विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक स्रोतों ; जैसे:– सूर्य, तारे आदि कृत्रिम स्रोतों; जैसे:– मोमबत्ती, विद्युत बल्ब आदि से प्राप्त होता है।
- इनके आधार पर प्रकाश स्रोतों को निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जा सकता है
- दीप्त प्रकाश स्रोत ( luminuous sources):-
वे प्रकाश स्रोत जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न करते हैं, दीप्त प्रकाश स्रोत कहलाते हैं; उदाहरण– सूर्य, तारे ,विद्युत बल्ब ,आदि ।
2.अदीप्त प्रकाश स्रोत(Non Luminous sources):–
वे प्रकाश स्रोत जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न नहीं करते बल्कि दीप्त स्रोतों के प्रकाश को परिवर्तित कर देते हैं अदीप्त प्रकाश स्रोत कहलाते हैं। उदाहरण:– चंद्रमा( यह सूर्य के प्रकाश के परावर्तन होने पर ही चमकता है) कांच आदि।
- प्रकाश के गुण (properties of light):–
1.प्रकाश स्वयं अदृश्य होता है परंतु इसकी उपस्थित में वस्तुएं दिखाई देती हैं ।
2.साधारणतया प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है। 3. प्रकाश के संचरण हेतु किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।प्रकाश निर्वात में भी गमन कर सकता है प्रकाश विद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में गमन करता है ।
4.प्रकाश पारदर्शी माध्यमों में से गुजर सकता है।
5.प्रकाश की निर्वात में चाल 3 * 10⁸ m/s होती है।
6.यह चमकदार पृष्ठों से परावर्तित हो जाता है।
7. दृश्य प्रकाश की तरंग धैर्य 4000Åसे 8000Å तक होता है
प्रकाशिक माध्यम(optical medium):–
प्रकाश प्रकाश जिन माध्यमों से होकर गुजरता है उन्हें प्रकाशित माध्यम कहते हैं।
प्रकाशिक माध्यमों को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है
1. पारदर्शक माध्यम (trqnsparent medium):–
जिन माध्यमों से प्रकाश का अधिकांश भाग गुजर जाता है उन्हें पारदर्शक माध्यम कहते हैं ।उदाहरण:– वायु , कांच आदि
2. पारभासक माध्यम(transluscent medium):–
जिन माध्यमों से प्रकाश का केवल आंशिक भाग ही गुजर पाता है उन्हें पारभासक माध्यम कहते हैं। उदाहरण :–दूषित जल , घिसा हुआ कांच आदि,
3. अपारदर्शक माध्यम(opaque medium):–
जिन माध्यमो से प्रकाश का कोई भी भाग गुजर नहीं पाता है उन्हें अपारदर्शक माध्यम कहते हैं। उदाहरण:– लकड़ी ,लोहा, आदि |
प्रकाश किरण(light ray):–
जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम में पारदर्शी माध्यम में सरल रेखा में गमन करता है तब वह प्रकाश के पथ को प्रकाश किरण कहते हैं। प्रकाश किरणों के समूह को प्रकाश पुंज कहते हैं।
प्रकाश पुंज निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं
1. अभिसारी प्रकाश पुंज:–
जब प्रकाश की समस्त गिरे एक ही बिंदु पर मिलती है, तो उन प्रकाश किरणों के समूह को अभिसारी प्रकाश पुंज कहते हैं ।
2.अपसारी प्रकाश पुंज:–
प्रकाश की समस्त किरणें एक ही बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं, तो उन पर प्रकाश किरणों के समूह को अपसारी प्रकाश पुंज कहते है।
3.समांतर प्रकार पुंज:–
जब प्रकाश की समांतर किरणें एक दूसरे के समांतर होती है ,तो उन प्रकाश किरणों के समूह को समांतर प्रकाश पुंज कहते हैं।
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of light):–
जब प्रकाश किसी चिकनी व पॉलिशदार सतह पर आपतित होता है तो उसका अधिकांश भाग सतह से टकराकर उसी माध्यम में लौट जाता है। प्रकाश के किसी चिकनी व पालिश दार सतह से टकराकर वापस लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं। प्रकाश के परावर्तन में प्रकाश की चाल नियत रहती है।
परावर्तन के नियम (laws of reflection):–
समतल दर्पण से परावर्तन के निम्नलिखित दो नियम है
1. प्रथम नियम:–
आपतित किरण, परावर्तित किरण, तथा आपतन बिन्दु पर डाला गया लंब तीनों एक ही पृष्ठ मे होते।
2. द्वितीय नियम:–
आपतन कोण (i), सदैव परावर्तन कोण (r) के बराबर होता है।
प्रतिबिम्ब (image):–
वस्तु के किसी बिन्दु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन या अपवर्तन के पश्चात जिस बिन्दु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं उस बिन्दु को प्रथम बिन्दु का प्रतिबिंब कहते है।
प्रतिबिंब निम्नलिखित दो प्रकार के होते है
1. वास्तविक प्रतिबिंब (real image):–
जब किसी बिन्दु वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन के पश्चात किसी दूसरे बिंदु पर वास्तव में मिलती है,तो इस बिंदु पर बने प्रतिबिंब को उस बिन्दु वस्तु का वास्तविक प्रतिबिंब कहते है।
2. आभासी प्रतिबिंब(virtual image) :–
जब किसी बिन्दु वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन के पश्चात किसी दूसरे बिंदु पर वास्तव में नही मिलती है, परन्तु दुसरे बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती है तो इस बिंदु पर बने प्रतिबिंब को उस बिन्दु वस्तु का आभासी प्रतिबिंब कहते है।
दर्पण(Mirror):—
यदि किसी चिकने पारदर्शी माध्यम तल के एक पृष्ठ पर कलई कर के दूसरे पृष्ठ को प्रवर्तक पृष्ठ बना दिया जाए तो यह निकाय दर्पण कहलाता है।
1.समतल दर्पण(plane mirror):—
ऐसा दर्पण जिन का परावर्तक पृष्ठ समतल होता है। समतल दर्पण कहलाते हैं।
समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब के गुण निम्नलिखित हैं:—
1. समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा रहता है।
2. समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
3. h ऊंचाई के मनुष्य को अपना पूर्ण प्रतिबिंब देखने के लिए समतल दर्पण की आवश्यक न्यूनतम ऊंचाई h/2 होती है।
4. प्रतिबिंब दर्पण से उतनी ही दूरी पीछे बनता है जितनी कि वस्तु दर्पण के आगे होती है।
पार्श्व उत्कर्मण(lateral inversio):—
समतल दर्पण में पार्श्व बदलने की घटना को पार्श्व उत्कर्मण कहते हैं।
Thanks for watching...
।
Share and comment kare...........
0 Comments